Salutations to Mother Saraswati - Rakashas



माँ सरस्वती

Maa Saraswati Poem By Rakashas


एक रूप ऐसा है जो अपना सब कुछ खोने से मिलता है।


खुद को बिखेरने ओर खुद को उसमे समा जाने से मिलता है।


पवित्र बड़ा है वो रूप जो अचल को चल कर देता हैं।


निर्माण होता है वह साधक में शून्यता का,


वो Roop खुद को खोने से मिलता हैं।




मान लो देवी माँ को अपना सब कुछ, 


तब चमत्कार होता हैं,


पवित्र होता हैं व्याकुल मन भी,


पुष्पों की वर्षा बिखेरता हैं,


पंकज स्वरूपनी, आनंद स्वरूपनी, कृपा दायनी कहलाता है।




काले रंग से भी गहरा हैं,


विस्तार करती है जब देवी अपने रूप मे,


ना ना प्रकार का ऐश्वर्या बिखरता हैं,


गंधर्वो का दिल भी उस रूप को देखने को मचलता हैं।




संकल्प से सिद्ध होता हैं वो रूप, उपवास से शांत होता हैं,


मिलाता वो रूप मोक्ष से भी, मनवांछित फल पूरा करता हैं।


साधारण मनुष्य को कवि बना देता हैं,


उसे कहते हैं माँ, वो स्वरूप कवियों के लेखन को भी बल देता है।


रकाशस






Rakashas

I started my journey 28 years back, when I visited the world, I was unaware about the beauty of nature and hidden secrets of life, than I meet my other half, magic happened when we quarrelled one day, that day I discovered writing as one of my skills. I am all time engineer, a youtuber and a lot more.

1 Comments

Please motivate us. If you like it, do leave a comment below.

Previous Post Next Post